Sunday, May 12, 2024
उत्तर-प्रदेश

भद्राकाल के बाद होगा होलिका दहन, जानें दोष-योग और पूजन की विधि; बरतें ये सावधानियां

होली और होलिका दहन की तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं। होलिका दहन पर छह अद्भुत योग के साथ ही दो दोष भी निर्मित हो रहे हैं। होलिका दहन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, धन शक्ति योग, वृद्धि योग, त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग जातकों पर सुख-समृद्धि बरसाएगी। भद्राकाल के बाद 24 मार्च को होलिकादहन रात्रि में होगा।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि 24 मार्च को भद्रा दिन में 9:56 बजे से रात्रि 11:14 बजे तक रहेगी। भद्रा के पश्चात शुभ मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग में होलिका दहन शुभ फलदायी रहेगा। रात्रि में 11:14 बजे के बाद होलिकादहन किया जाएगा। होलिका दहन के बाद 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। होलिका दहन पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:34 मिनट बजे शुरू होगा और अगले दिन 25 मार्च को सुबह 6:19 बजे तक रहेगा।

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि रवि योग 24 मार्च को सुबह 6:20 बजे से सुबह 7:34 बजे तक रहेगा। वृद्धि योग रात 8: 34 बजे से शुरू होकर अगले दिन 25 मार्च को रात 9: 30 बजे तक रहेगा। धन शक्ति योग होली के दिन कुंभ राशि में मंगल और शुक्र ग्रह की युति से निर्मित होगा। होली के दिन शनि, मंगल, शुक्र कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। होलिकादहन पर सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा।

बन रहे दो दोष

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि होलिकादहन पर कुंडली में जब भी राहु और सूर्य की युति बनती है तो उसे सूर्य ग्रहण योग कहते हैं। राहु पहले से ही मीन राशि में विराजमान है और सूर्यदेव ने 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश किया है। दोनों की युति से ग्रहण योग बन रहा है। 24 मार्च को दोपहर 2: 20 बजे चंद्रमा केतु के उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र में और कन्या राशि में गोचर करेगा। उपरोक्त स्थिति के चलते बलारिष्ट दोष का निर्माण हो रहा है। जब चंद्रमा लग्न से छठे, आठवें और बारहवें भाव मे, कमजोर स्थिति में और क्रूर ग्रहों के प्रभाव में हो तो बालारिष्ट दोष होता है

होलिका दहन विधि

  • सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
  • अब अपने आसपास पानी की बूंदें छिड़कें। पवित्रीकरण करें।
  • गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं बनाएं।
  • थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें।
  • नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
  • अब सभी सामान लेकर होलिकादहन वाले स्थान पर ले जाएं।
  • अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
  • इसके बाद प्रह्लाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
  • भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।
  • अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
  • कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
  • आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।

बरतें सावधानी, न करें मांस मदिरा का सेवन

होलिका दहन के दौरान अपना सिर खुला नहीं रखना चहिए। आपको पूजा करते समय अपने सिर को किसी कपड़े या दुपट्टे से ढंकना चाहिए। इसी के साथ आपको होलिका दहन के दिन सड़क पर पड़ी वस्तुओं को नहीं छूना चाहिए, क्योंकि कई तांत्रिक इस दिन अनैतिक कार्य करते हैं। ज्योतिष अनुसार होलिका दहन के दिन मांस, मदिरा का सेवन न करें। इस दिन आपको काले या नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। नीले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

नवविवाहित महिलाएं न देखें होलिका
शास्त्रों में मान्यता है कि जलती हुई होलिका नवविवाहित महिलाओं को नहीं देखनी चाहिए, क्योंकि यह जलते हुए शरीर का प्रतीक होती है। इसका अर्थ यह है कि आप अपने पुराने शरीर को जला रहे हैं। यही कारण है कि नवविवाहित युवतियों को होली की आग नहीं देखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई नवविवाहित युवती होली की आग देख लेती है, तो उसे अपने वैवाहिक जीवन में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग-24 मार्च को सुबह 7:34 मिनट बजे शुरू होगा और अगले दिन 25 मार्च को सुबह 6:19 बजे तक रहेगा

  • वृद्धि योग- 24 मार्च को रात 8 बजकर 34 मिनट लेकर 25 मार्च को रात 9 बजकर 30 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा।

  • रवि योग- रवि योग 24 मार्च को सुबह 6 बजकर 20 मिनट से लेकर 7 बजकर 35 मिनट तक रहने वाला है।

  • त्रिग्रही योग- होली के दिन शनि, मंगल, शुक्र एक ही राशि कुंभ राशि में रहेंगे। जिसके कारण त्रिग्रही योग बनेगा।

  • धन शक्ति योग – होली के दिन मंगल और शुक्र की कुंभ में युति के कारण धन शक्ति योग निर्माण हो सकता है।

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