बालू खनन के दौरान मिले भगवान तो लगने लगे जयकारे, जांच के लिए पुरातात्विक विभाग को लिखी गई चिट्ठी……
आरा। भोजपुर जिले के अजीमाबाद थाना क्षेत्र स्थित नारायणागढ़ बालू घाट से भगवान श्रीराम विष्णु की मूर्ति मिलते ही क्षेत्र में आस्था की लहर दौड़ गई। थाने में जैसे ही भगवान बिराजे तो जयकारे से वातावरण भक्तिमय हो गया।
लोगों ने भगवान को चुनरी ओढ़ा कर पूजा .अर्चना शुरू कर दी। महिलाएं भी आरती उतारने थाने जा पहुंची। थानाध्यक्ष ब्रजेश कुमार ने बताया बरामद मूर्ति का वजन दो किलो 461 ग्राम है। लंबाई करीब 11इंच है।
बरामद मूर्ति कहां से चुराई गई है पता लगाया जा रहा है। जहां से मूर्ति मिली है वहां अन्य मूर्तियों की भी खोज की जा रही है । अभी बरामद मूर्ति को थाने की निगरानी में रखा जाएगा।
बालू खनन के दौरान घाट पर काम करने वाले कर्मियों को मिली थी मूर्ति
आपको बताते चलें कि नारायागढ़ बालू घाट पर जेसीबी सेबालू खनन के दौरान मूर्ति मिली थी। ट्रक पर लोडिंग के दौरान नजर पड़ी। देखते ही देखते इसकी चर्चा क्षेत्र में आग की तरफ फैल गई। बालू घाट पर कार्य कर रहें मजदूरों और अन्य कर्मियों के द्वारा इस प्रतिमा को छुपाने का प्रयास किया गयाए तब तक इसकी भनक स्थानीय थाने के साथ.साथ पीरो के डीएसपी को मिल गई।
मामले पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने बालू घाट के संचालक को अविलंब मूर्ति को सौंपने का निर्देश दिया। जिसके बाद घाट संचालक ने रविवार की सुबह थाने के समक्ष मूर्ति को प्रस्तुत कर दिया। मूर्ति बरामद होने की खबर क्षेत्र में फैलते ही लोग थाने पहुंच गए और थानाध्यक्ष के टेबल पर बिराजे भगवान की पूजा अर्चना शुरू कर दी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मूर्ति देखने से भगवान नारायण .श्रीयराम की प्रतीत होती है। देखने से यह अष्टधातुकी बनी हुई लगती है। मूर्ति का दाहिने हाथ की अंगुली टूटी हुई प्रतीक हो रही है। इसके अलावे अन्य सभी शरीर के पार्ट पूरी तरह सही हैं। माथे के ऊपर चोटी देखकर कई लोग इसे भगवान विष्णु और श्रीराम का बता रहे थे।
पुरातत्व विभाग को पत्र लिख मूर्ति की धातु के बारे में लगाया जाएगा पता
इस संबंध में पीरो डीएसपी राहुल सिंह ने बताया कि देखते ही मूर्ति प्राचीन लग रही है। पुरातत्व विभाग को भी इस संबंध में पत्र लिखते हुए बरामद प्रतिमा की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही पता चल पाएगा कि यह किस भगवान की मूर्ति है और किस धातु से बनी है।
क्षेत्र में मूर्ति को लेकर तरह.तरह की चर्चा लोग कर रहे हैं। मालूम हो बालू खनन के दौरान इस तरह भगवान की मूर्ति के मिलने का सिलसिला जिले में पहले से चला आ रहा है। पूर्व में कोईलवर के खनगांवसोन नदी के किनारे से भगवान की मूर्ति मिली थी।