Friday, May 3, 2024
उत्तर-प्रदेशचंदौली

चकिया: 21 हजार दीपों से जगमगाया ऐतिहासिक काली जी पोखरा, लोगों ने आंखों व मोबाइल में कैद किया इस ऐतिहासिक पल को…….. चेयरमैन ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया शुभारंभ…..दुर्गा मंदिर परिसर भी हजारों मिट्टी के दीपकों से जगमगाया, जमकर हुई आतिशबाजी

देव दीपावली पर जगमग हुए काली मंदिर व दुर्गा मंदिर

चेयरमैन ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया शुभारंभ

जमकर हुआ आतिशबाजी, लोगों ने मोबाइल कैमरे में किया जगमग करते दीपों को

चकिया, चंदौली। नगर स्थित ऐतिहासिक काली जी का सरोवर तट 21 हजार दीपों की रोशनी से रविवार की सायं जगमगा उठा। वहीं देव दिपावली के पावन पर्व पर नगर के पूर्वी बाजार स्थित दुर्गा मंदिर परिसर को मिट्टी के बने हजारों दीपों से सजाया गया। हजारों लोगों ने भब्य जलते दीपों को कैमरे में कैद किया। काली जी पोखरे को ओम सेवा समिति की ओर से सजाया गया। जिसका शुभारंभ नगर पंचायत के चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया

बता दें कि देव दिपावली के पावन पर्व पर हर साल की भांति इस बार भी ओम सेवा समिति की ओर से देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ऐतिहासिक मां काली जी सरोवर परिसर को 21 हजार दीपकों से सजाया गया। इस ऐतिहासिक क्षण को लोगों ने अपने आंखों व मोबाइल के कैमरों में कैद किया।

समिति के प्रमुख पदाधिकारी विनोद केशरी, सुजीत जायसवाल, आशीष जायसवाल, अंकित गुप्ता, मनीष जायसवाल सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने दीप उत्सव के कार्यक्रम को सफल बनाया। दीप उत्सव का शुभारंभ नगर पंचायत के चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलित करके किया।


समिति के पदाधिकारी व सदस्यों की टोली कार्यक्रम स्थल को सजाकर आकर्षण का केंद्र बना दिया। सरोवर के चारों दिशाओं में सजाए गये मिट्टी के दीयों को युवाओं की टोली ने जगमग कर दिया। सरोवर घाट पर जगह, जगह ऊँ, स्वास्तिक के जगमग दिए लोगों को बरबस ही आकर्षित करने लगे। आसमान में रंगबिरंगे आतिशबाजी ने लोगों का मन मोह लिया।


वहीं नगर स्थित मां दुर्गा मंदिर का भी भव्य नजारा रहा। दीपों के साथ झालरों से सजाया गया था। जहां सैकड़ों लोगों ने मां के दरवार में जाकर आरती के साथ दौरान जयकारे लगाये। उमाशंकर शंकर गुप्ता, रूद्र प्रकाश गुप्ता, ईशान, अंकित, प्रखर, वेद प्रकाश गुप्ता ने दीपक जलाया। लोगों ने इस नजारे को कैमरे में कैद किया । आतिशबाजी भी युवाओं द्वारा किया गया। दीपों से जगह, जगह ऊँ, स्वास्तिक बनाएं गए थे।

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