Saturday, April 27, 2024
उत्तर-प्रदेश

सपा को लगा बड़ा झटका, राष्ट्रीय महासचिव पूर्व सांसद ने दिया इस्तीफा, हो सकते हैं शामिल

लखनऊ , पूर्वांचल पोस्ट न्यूज

लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) को बड़ा झटका लगा है। कद्दावर नेता रवि प्रकाश वर्मा ने शुक्रवार को सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफा देने का कारण लखीमपुर खीरी में सपा की आंतरिक गतिविधियों को बताया। चर्चा है कि रवि वर्मा अब कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। उधर, कांग्रेस प्रदेश कमेटी ने उनको पार्टी में शामिल कराने की तैयारियां पूरी कर ली हैं।

कौन हैं रवि प्रकाश वर्मा
लखीमपुर खीरी के गोला निवासी रवि प्रकाश वर्मा खीरी संसदीय सीट से दो बार सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। वह इसी साल जनवरी महीने में सपा के तीसरी बार राष्ट्रीय महासचिव बने थे। लेकिन, कुछ ही महीनों बाद उनकी सपा से अनबन सामने आ गई थी, तभी से इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि रवि वर्मा लोकसभा चुनाव से पहले सपा का साथ छोड़ सकते हैं। 

रवि प्रकाश वर्मा के पिता बाल गोविंद वर्मा वर्ष 1962 से 1971 और फिर 1980 में सांसद चुने गए थे। कुछ दिन बाद उनका निधन हो गया तो उपचुनाव हुआ, जिसमें रवि प्रकाश की माता उषा वर्मा सांसद चुनी गईं। इसके बाद वह वर्ष 1984 से 1989 तक सांसद रहीं। रवि प्रकाश वर्ष 1998 से 2004 तक सपा से सांसद रहे। इसके बाद 2014 से 2020 तक राज्यसभा सदस्य रहे।  

जानकारी के मुताबिक सपा के स्थानीय और नए नेताओं को पार्टी में ज्यादा तरजीह दिए जाने से रवि वर्मा नाराज थे। इसी के चलते जून महीने में जब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दो दिन के दौरे पर कार्यकर्ता सम्मेलन में खीरी आए थे तो उनके मंच से कद्दावर नेता रवि प्रकाश वर्मा गायब थे। 

जिले में ओबीसी आबादी सबसे ज्यादा 
रवि वर्मा कुर्मी समाज के कद्दावर नेता हैं। जिले की करीब 50 लाख की आबादी वाले खीरी जनपद में ओबीसी आबादी सबसे ज्यादा करीब 35 प्रतिशत है। इनमें कुर्मी बाहुल्य आबादी पहले नंबर पर है। इसी गणित को साधते हुए समाजवादी पार्टी ने रवि प्रकाश वर्मा को तीसरी बार जनवरी महीने में राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने की बनती स्थिति को लेकर वह पार्टी से नाराज रहे। बता दें कि पूर्व में उनकी बेटी पूर्वी वर्मा भी सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था।

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