पुलिस को झटका, इतने अक्टूबर को सूर्यास्त से पहले पुलिस चौकी से कब्जा हटाने का दिया आदेश…..
इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने 1988 से बिना किराया दिए कब्जा जमाए बैठी पुलिस को आगरा के हरिपर्वत थाने की खंडारी पुलिस चौकी को खाली कर संपत्ति मालिक को कब्जा सौंपने का निर्देश दिया है। 14 नवंबर 1991 को अधीनस्थ अदालत ने याची के पक्ष में डिक्री दी और संपत्ति का कब्जा सौंपने का आदेश दिया था।
बलपूर्वक कब्जा जमाए बैठी पुलिस को बेदखल कर कब्जा दिलाने की मांग में याची ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिसे स्वीकार कर हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी व पुलिस कमिश्नर आगरा को संपत्ति का कब्जा याची को सौंपने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने डॉ. वीके गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि याची के पिता ने अपना दो कमरे का मकान पुलिस को 15 रुपये महीना किराये पर दिया लेकिन पुलिस ने कुछ ही समय में किराया देना बंद कर दिया और मकान ध्वस्त कर निर्माण करने लगे। याची के पिता ने बेदखली वाद दायर किया। कोर्ट ने 14 नवंबर 1991 को बेदखली आदेश जारी किया। पालन न होने पर निष्पादन अदालत की कार्यवाही शुरू हुई। अदालत ने कोर्ट अमीन भेजा। रिपोर्ट दी कि जब तक आईजी का आदेश नहीं आता पुलिस चौकी खाली नहीं होगी।
पुलिस पर बलपूर्व कब्जा करने का आरोप
याची का कहना था कि बलपूर्वक पुलिस द्वारा उसके मकान पर कब्जा सांविधानिक अधिकारों का हनन है। हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने संपत्ति का स्वामी होने का दावा किया। दूसरी तरफ याची के हक में अदालत की डिक्री है जिसका पालन नहीं किया जा रहा था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की आलोचना की। कहा कि सशस्त्र बल के जरिए अवैध कब्जा करना सही नहीं है। जिलाधिकारी सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी व पुलिस कमिश्नर आगरा सहित पुलिस अधिकारियों को हरिपर्वत थाने की पुलिस चौकी खंडारी रोड का कब्जा 10 अक्तूबर को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक याची को सौंपने का निर्देश दिया है और जिलाधिकारी से कब्जा सौंपने की रिपोर्ट 12 अक्तूबर तक हाईकोर्ट के महानिबंधक को भेजने का आदेश दिया है।
मौके की कार्रवाई अदालत में पेश करने का भी निर्देश
कोर्ट ने कहा है कब्जा सौंपने की कार्यवाही के दौरान कोर्ट अमीन मौके की कार्यवाही रिपोर्ट निष्पादन अदालत में पेश करें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि विवादित संपत्ति के स्वामित्व को लेकर दाखिल वाद तय होने तक याची संपत्ति की प्रकृति में बदलाव नहीं करेगा। केवल मरम्मत करा सकेगा और संपत्ति तीसरे पक्ष को नहीं बचेगा। यदि स्वामित्व वाद में राज्य सरकार के पक्ष में फैसला आया है तो याची संपत्ति का कब्जा वापस कर देगा।