Sunday, April 28, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

महिलाओं को जेवर.कपड़े और शृंगार के साथ चाहिए हथियार, इस जिले में 80 महिलाएं लाइसेंस धारक……

महिलाओं के हाथ अब सिर्फ चूडियां पहनने और कंधा दुपट्टा संभालने के लिए ही नहीं है। बल्कि इन पर वह हथियारों को भी सजाने का शौक रखती हैं। शहर से लेकर गांव तक महिलाओं के पास शस्त्र लाइसेंस हैं। शामली जिले में इस समय 80 महिलाएं शस्त्र रखती हैं और 140 के आवेदन लंबित हैं।

शस्त्र लाइसेंस उन्हीं को जारी किया जाता है, जिनकी जान को खतरा हो या फिर वह अपराध प्रभावित क्षेत्र में रहते हों। पुलिस और राजस्व विभाग के साथ एलआईयू आदि विभागों की रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी की स्वीकृति पर शस्त्र लाइसेंस जारी किया जाता है। पहले पुरुष ही शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करते थे, लेकिन पिछले करीब एक दशक में काफी बदलाव आया है, अब महिलाओं के आवेदन भी लगातार आ रहे हैं।

वर्तमान में 10 आवेदन में चार आवेदन महिलाओं के होते हैं। अहम बात ये है कि महिलाओं की पसंद सिर्फ रिवाल्वर या पिस्टल नहीं बल्कि बंदूक और रायफल भी भा रही है। हालांकि शहरी क्षेत्र में महिलाओं की पसंद छोटे वेपन रिवाल्वर या फिर पिस्टल है।

रंजिश वाले परिवारों में महिलाएं मांगती हैं हथियार

शस्त्र लाइसेंस लेने वाली महिलाओं में अधिकांश ऐसी है, जिनकी पारिवारिक रंजिश चल रही है। ऐसी महिलाओं को पति लाइसेंस दिलाते हैं, ताकि आपात स्थिति में इसका उपयोग आत्मरक्षा के लिए किया जा सके। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता पवन कुमार तिवारी को प्रशासन ने उपलब्ध कराई है। हालांकि अधिकांश मामलों में बाद में इसका प्रयोग पति ही करते पाए जाते हैं।

दागी पति को पत्नी के नाम का सहारा

महिलाओं के लाइसेंस लेने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी सामने आया है कि जिन लोगों पर किसी भी मामले में आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, उन लोगों का नियमानुसार शस्त्र लाइसेंस नहीं बन सकता है। ऐसे में ये लोग अपनी पत्नी के नाम से शस्त्र लाइसेंस जारी कराते हैं।

इसके अलावा मृतक आश्रित में भी जिनके बच्चे नाबालिग हैं, उनकी पत्नी के नाम विरासत में शस्त्र लाइसेंस जारी हो जाता है। हालांकि काफी आवेदन ऐसे भी हैं, जहां महिलाएं इन सब कारणों से अलग भी शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन कर रही हैं।

इन्होंने कहा

जिले में 80 महिलाओं के नाम शस्त्र लाइसेंस है। पिछले कुछ समय में महिलाओं में शस्त्र लाइसेंस के प्रति रूचि बढ़ी है। अभी 140 लंबित चल रहे हैं। जांच पड़ताल के बाद ही पात्र को ही लाइसेंस जारी किए जाते हैं।

रविंद्र सिंह, डीएम शामली

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