उमेश पाल हत्याकांड के 120 दिन पूरे, शाइस्ता और गुड्डू मुस्लिम पुलिस की पकड़ से अब भी दूर……
लखनऊ। 24 फरवरी 2023 को दिन दहाड़े उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी। इस दौरान उमेश पाल के साथ उनके दो सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे। इस हत्याकांड को आज 120 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन दो सबसे मुख्य आरोपित अतीक अहमद की बेगम शाइस्ता परवीन और बमबाज गुड्डू मुस्लिम पुलिस और एसटीएफ की पकड़ से अब तक दूर हैं। पुलिस को कई बार गुड्डू मुस्लिम की लोकशन मिली पर शाइस्ता का हत्याकांड के बाद से कोई अता पता नहीं है। यहां तक की बेटे और पति की मौत के बाद भी वह नजर नहीं आई।
शाइस्ता की तलाश में पुलिस ने छाने गांव के गांव
अतीक अहमद की बेगम शाइस्ता परवीन की तलाश के कई जिलों की पुलिस के साथ यूपी एसटीएफ भी लगी है। कौशांबीए प्रयागराज सहित आसपास के सभी जिलों में जहां अतीक अहमद या शाइस्ता परवीन का कोई रिश्तेदार भी रहता था वहां भी पुलिस ने तलाशी ली है लेकिन शाइस्ता का कहीं कोई नामोंनिशान नहीं है। हत्याकांड के बाद से शाइस्ता फरार चल रही है। उसपर 50 हजार का इनाम घोषित किया जा चुका है। असद के एनकाउंट के बाद पुलिस को उम्मीद थी कि शाइस्ता आएगी। लेकिन वो नहीं आई। इतना ही नहीं अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद भी शाइस्ता नजर नहीं आई।
पुलिस के लिए रहस्य बना बमबाज गुड्डू मुस्लिम
उमेश पाल हत्याकांड की सीसीटीवी फुटेज में बम बरसाते दिखा गुड्डू मुस्लिम पुलिस के लिए रहस्य बन गया है। घटना के 120 दिन बाद भी उसके असली नाम और पते पर संशय है। गुड्डू मूल रूप से प्रयागराज में शिवकुटी का रहने वाला है। लेकिन हाल में अफवाह उड़ा दी गई कि वह सुल्तानपुर में गोसाईगंज का मूल निवासी है।
एक लोकेशन पर कभी नहीं टिका शातिर गुड्डू मुस्लिम
उमेश पाल की हत्या के बाद गुड्डू मुस्लिम झांसी में कुछ दिन टिकने के बाद मेरठ की तरफ गया। फिर वहां से दिल्ली चला गया था। एसटीएफ का शिकंजा कसता देख दिल्ली और अजमेर में भटकने के बाद वह दक्षिण भारत तरफ निकल गया। कुछ समय कर्नाटक में टिकने के बाद ओडिशा के बारगढ़ और पुरी में रहा। अब वह छत्तीसगढ़ भाग गया है। एसटीएफ को ऐसे इनपुट मिले हैं कि गुड्डू बमबाज ने अपना हुलिया काफी कुछ बदल लिया है। ऐसा पता चल रहा है कि गुड्डू मुस्लिम ने मूंछ हटा दी है और कपड़े भी अलग ढंग के पहन रहा है। एसटीएफ जब लोकेशन पर पहुंचती है तो वह कहीं और निकल चुका होता है।
24 फरवरी की शाम को उमेश पाल और सुरक्षाकर्मियों को मारी थी गोलियां
विधायक राजू पाल हत्याकांड के एक मात्र गवाह व पेशे से वकील उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 को दिन दहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। हत्यारों ने उनके साथ दो सुरक्षाकर्मियों को भी मार दिया था। पूरी घटना आसपास के सीसीटीवी कैमरों में दर्ज हो गई थी। उमेश पाल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह थे, लेकिन मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी जांच में उमेश पाल को गवाह नहीं बनाया था।
हमले में उमेश पाल और दोनों सुरक्षाकर्मियों की हुई थी मौत
24 फरवरी की शाम को उमेश पाल जैसे ही अपने घर के पास पहुंचेए वैसे ही बदमाशों ने पहले तो उनकी कार पर गोलियां चलाईं। उसके बाद जब वो अपने गनर के साथ घर की ओर भागेए तो बदमाशों ने उन पर एक के बाद एक कई बम फेंके। वारदात के बाद हत्यारे मौके से फरार हो गए। जिसके बाद उमेश पाल व दोनों सुरक्षा कर्मियों को फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उमेश पाल और उनके गनर संदीप मिश्रा की मौत हो गई थी। दूसरे दिन गनर राघवेंद्र सिंह की लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।