Friday, May 3, 2024
नई दिल्ली

50 देशों में क्राइम है वैवाहिक दुष्कर्म, भारत में लगातार कोर्ट की दहलीज पर पहुंच रहे ऐसे मामले…….

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली। देश में पिछले कुछ महीनों से लगातार वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। दरअसल आए दिन सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में इससे संबंधित मामले बढ़ते जा रहे हैं। देश के एक वर्ग का कहना है कि इसे अपराध के श्रेणी में रखा जाना चाहिए।

वहीं दूसरे वर्ग का कहना है कि यह कोई अपराध नहीं है। हर रिश्ते की अपनी एक पहचान होती है। हालांकि भारतीय कानून में इसको लेकर कोई खास प्रावधान नहीं है।

यदि पत्नी की सहमति के बिना पति उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है। तो इसे वैवाहिक दुष्कर्म कहा जाता है। महिला के सहमति के बिना संबंध बनाने के कारण इसे दुष्कर्म की श्रेणी में रखा जाता है। वैवाहिक दुष्कर्म को पत्नी के खिलाफ एक तरह की घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न माना जाता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में दुष्कर्म की परिभाषा बताई गई है। हालांकि, इसमें भी वैवाहिक दुष्कर्म का जिक्र नहीं किया गया है। ऐसी परिस्थिति में माना जा सकता है कि वैवाहिक दुष्कर्म एक सैद्धांतिक अपराध है। लेकिन इसे कानून की नजर में अपराध नहीं माना जाता।

हालांकि इसमें कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की पत्नी की उम्र 15 साल से कम है। तो ऐसे में उसके साथ संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाएगा। इसके अलावा अगर पति अपनी पत्नी से उसके मर्जी के बिना संबंध बनाता है और उसकी उम्र 15 साल से ज्यादा है। तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जाएगा।

आज भी देश में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए संघर्ष जारी है। इस मामले को लेकर सुनवाई भी हुई है। लेकिन इसे लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। हालांकि आपको बता दें कि 29 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान एक बेंच ने फैसला सुनाया था कि महिला की वैवाहिक स्थिति जो कुछ भी हो। उसे सुरक्षित और कानूनी तरीके से अबॉर्शन कराने का अधिकार है।

इस फैसले के दौरान बेंच ने वैवाहिक दुष्कर्म का भी जिक्र किय था। बेंच ने कहा था कि यदि महिला के पति ने उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए और इसके बाद महिला प्रेग्नेंट हो गई। तो ऐसे में उन्हें भी अबॉर्शन का हक है। ऐसे में माना जा सकता है कि कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत मान्यता दी है।

हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार शादी के बाद पति और पत्नी की एक.दूसरे के प्रति कुछ जिम्मेदारियां तय होती हैं। कानूनी तौर पर कहा गया है कि पति और पत्नी में से यदि कोई अपने पार्टनर को बार.बार शारीरिक संबंध बनाने से रोकता है। तो यह क्रूरता है और इसके आधार पर तलाक के लिए अर्जी दाखिल की जा सकती है।

मुताबिक देश में 29 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं, जो पति द्वारा यौन हिंसा का शिकार हुई हैं। इस सर्वे में बताया गया है कि वैवाहिक दुष्कर्म के मामलों में गांव और शहरों के आंकड़ों में काफी अंतर देखा गया है। ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को शहरी महिलाओं की तुलना में ज्यादा यौन हिंसा का शिकार होना पड़ता है। जहां शहर में 24 प्रतिशत महिलाएं यौन शोषण का शिकार होना पड़ता हैं। तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 32 प्रतिशत महिलाएं इस अत्याचार को झेलती हैं।

इन देशों में वैवाहिक दुष्कर्म है अपराध

विश्व के कई देशों में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। 1992 में सोवियत यूनियन वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने वाला पहला देश बना था। इसके बाद 1932 में पोलैंड ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध बताया था। वहीं 1960.1970 के दशक तक अधिकतर पश्चिमी देशों ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित कर दिया था।

ब्रिटेन ने 1991 में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित कर दिया था। यहां पर वैवाहिक दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिका ने 1993 में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित किया था। फिलहाल अमेरिका ने अपने 50 राज्यों में वैवाहिक दुष्कर्म को क्रिमिनिलाइज किया है और इसके अलग.अलग राज्यों में कानून भी अलग है।

34 देशों में वैवाहिक दुष्कर्म अपराध नहीं

यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 तक दुनिया के 150 देश वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित कर चुके थे। हालांकि अब भी भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान समेत केवल 34 देशों में वैवाहिक दुष्कर्म अपराध नहीं है। भारत में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा या नहीं ये अब भी एक सवाल बना हुआ है।

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