बमबारी व मिसाइलों के हमलों से उत्सर्जित गैसें वायुमंडल में ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ा रही खतरा……..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
कानपुर। युद्ध किसी के भी बीच हो, उसके घातक प्रभाव तो प्रत्यक्ष तौर पर नजर आ जाते हैं। मगर इसके कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव भी होते हैं। युद्ध किन्हीं प्रांतों के बीच हो या देशों के, इससे सिर्फ इंसानों के जीवन को ही नुकसान नहीं पहुंचता बल्कि प्रकृति भी घायल होती है। यह हमारा स्वार्थी स्वभाव है कि बेवजह नुकसान उठाने वाली इस प्रकृति और इसके तमाम घटकों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता।
बीते 100 से भी अधिक दिनों से यूक्रेन और रूस के बीच लगातार युद्ध जारी है। इससे प्रभावित होने वाले लोगों की खबरें तो आए दिन सामने आती हैंफ मगर एक और तस्वीर है जो फिलहाल धुंधली है। आपसी अहम के चलते जारी इस युद्ध का नतीजा चाहे जो भी हो मगर इसके कारण प्रकृति को जिस हद तक नुकसान पहुंच रहा हैफ उसका प्रभाव लंबे समय तक भुगतना होगा।
बमबारी व मिसाइलों के हमलों से उत्सर्जित गैसें वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कई गुना बढ़ा चुकी हैं। संज्ञान रहे कि इन कारणों से पेड़.पौधों की वृद्धि तो रुकती ही है साथ ही जैव रासायनिक क्रियाओं, परागकण, फूल व बीजों की संख्या में भी गिरावट हो जाती है। इसके अलावा इन हमलों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण का सबसे ज्यादा प्रभाव वहां के जीव.जंतुओं पर पड़ रहा है। क्वींस यूनिवर्सिटी, बेलफास्ट के शोधकर्ताओं के अनुसार, मानव द्वारा किया जा रहा ध्वनि प्रदूषण जीवों की 100 से भी अधिक प्रजातियों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।