चंदौली को मिला बड़ा सौगातः बनेगा अंतरराष्ट्रीय यह, पहली किस्त जारी, पीएम मोदी रखेंगे बुनियाद…….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
चंदौली। धान का कटोरा कहे जाने वाले यूपी के चंदौली चंदौली जिले के मंडी परिसर में प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय मत्स्य मंडी के निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद साढ़े सात करोड़ रुपये की पहली किस्त केंद्र सरकार ने कार्यदायी संस्था को जारी कर दी है। कुल 70 करोड़ रुपये की लागत से 18 माह में पूरा होने वाली परियोजना का आगामी जून से निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी है। इसकी बुनियाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी जाएगी।
पूर्वांचल में मछली उत्पादन को देखते हुए इसके निर्यात के लिए यूपी की पहली अंतरराष्ट्रीय मत्स्य मंडी के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से प्रशासनिक और आर्थिक स्वीकृति मिलने के बाद अब पहली किस्त भी जारी कर दी गई। जून के अंत चंदौली के मंडी परिसर की एक हेक्टेयर भूमि में तीन मंजिला इमारत की बुनियाद रखी जाएगी।
रोजगार के नये अवसर भी मिलेंगे
यहां होलसेल, रिटेल और मछली पालन से संबंधित सभी उपकरण, सीड्स, दवाएं और चारा उपलब्ध होगा। इससे पूर्वांचल के मत्स्य पालकों को लाभ मिलेगा। साथ ही जिले में रोजगार के नये अवसर भी मिलेंगे और आय भी बढ़ेगी।
पीपीपी मॉडल पर तैयार किया जाएगा आईस फ्लैक्स
70 करोड़ की लागत से बनने वाली मत्स्य मंडी में साढ़े आठ करोड़ रुपये की निजी भागीदारी से आईस फ्लैक्स ;बर्फ के चिप्स बनाने वाली यूनिट की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा रेस्टूरेंट सहित कई निर्माण किए जाएंगे। मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एनएस रहमानी ने कहा कि केंद्र सरकार से साढ़े सात करोड़ रुपये की पहली किस्त मिलने के बाद जून के अंत से निर्माण कार्य शुरू कराने की तैयारी है। जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा। इसे 18 माह में पूरा कर पूर्वांचल से मछली के निर्यात को गति देनी है।
ये होंगी सुविधाएं
मंडी में मछली पालन के लिए प्रशिक्षण केंद्र, मछली के खरीद और बिक्री के लिए बाजार, सेमिनार हॉल, रेस्टूरेंट निर्यात के लिए विदेशी कंपनियों के क्षेत्रिय कार्यालय होंगे।
मछली कारोबार को विदेशों में मिलेगी पहचान
चंदौली समेत पूर्वांचल के के कई भूभाग में मत्स्य पालन करने वाले किसानों की अच्छी खासी संख्या है। वहीं नौगढ़ इलाके के बाधों में भी मत्स्य पालन होता है। ऐसे में अंतरराश्ट्रीय मत्स्य मंडी के संचालन के बाद कारेबार को बल मिलेगा। वहीं मछली कारोबार को विदेशों में पहचान दिलाने के लिए निर्यात जैसी व्यवस्था को सुचारु होगी। मंडी बनने के बाद मत्स्य पालन से जुड़े किसानों और कारोबारियों को एक छत के नीचे सभी सुविधाएं मिलेगी।
एक नजर में
70 करोड़ रुपये की कुल लागत
30 करोड़ रुपये केंद्र सरकार
20 करोड़ रुपये राज्य सरकार
11.50 करोड़ मंडी समिति
8.5 करोड़ रुपये निजी भागीदारी होगी।