चकियाः बीएचयू के इस संस्थान ने इन 12 गांवो में लोगों को बांटे……..
वैज्ञानिकों ने किसानों में बांटे फलदार पौधे
आय बढ़ाने के लिए किसानों को तिलहन की खेती करने का वैज्ञानिकों ने दीया सुझाव
नौगढ़, चंदौली। निका परियोजना के तहत बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान एवं आईएआरआई के सहयोग से चंदौली के नौगढ़ और सोनभद्र के नगवा ब्लाक के कई गांवों में सरसों एवं गेहूं की उन्नतशील बीज देकर वरुन संस्था के सहयोग से खेती कराया जा रहा है।
सोमवार को बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के डायरेक्टर के साथ कृषि वैज्ञानिकों ने विकास खंड नौगढ़ के हड़ही और झरियवा में विजिट करके सरसों की खेती का मूल्यांकन किया।
कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू वाराणसी के डायरेक्टर डॉ रमेश चंद्र ने किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक गेहूं की खेती छोड़कर तिलहन की खेती करने का सुझाव दिया। इसके उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीकी जानकारी भी वैज्ञानिकों ने दी। प्रो. एसके सिंह व डॉ आर एम सिंह ने सरसों की खेती के साथ मशरूम की खेती, मधुमक्खी और पशु पालन का समायोजन कर आय वृद्धि के लिए किसानों को प्रेरित किया। कहा कि सरसों आधारित खेती में निम्न निवेश पर भी आय वृद्धि हो सकती है।
प्रोफेसर एसके सिंह ने कहा की कृषक क्लब के माध्यम से कृषि यंत्र कल्टीवेटर, सीड ड्रिल, वीडरए स्प्रेयर स्प्रिंकलर रोटावेटर का क्रय किया जा चुका है। सरसों की फसल में माहो के प्रकोप से बचाने हेतु एमिडाक्लोप्रिड या मोनोक्रोनोफॉस को पानी में मिलाकर छिड़काव करने से माहौल से फसल को बचाया सकता है। वैज्ञानिकों ने राई, सरसों की समय से पंक्तिबद्ध बीजाई सम्यक उर्वरकों के प्रयोग एवं रोग कीटों से रख रखाव की जानकारी दी।
वरुन संस्था के सचिव डा. एस पी सिंह ने बताया कि किसान लाइन से व बीज की दूरी रखते हुए खेती करेंगे तो उपज में 20 से 25 तक की वृद्धि हो जाती है। किसी भी फसल में उचित दूरी बनाकर खेती करने से उपज में बढ़ोतरी होती है। जैविक खाद के जरिए कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस मौके पर विनोद, पप्पू, प्रहलाद, भागवत, देवराज, रामलाल, चंद्रशेखर, रामकृष्ण, गिरजा, अमावस्या, चिरौंजी आदि लोग मौजूद थे।