पंचायत चुनावः आपत्ति के लिए दावेदारों के अजीबो.गरीब तर्क, सुनकर अधिकारी भी हैरान….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
मेरठ। त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव के लिए जारी आरक्षण सूची ने इस बार राजनीति के चाणक्य माने जाने वालों के दावे ध्वस्त कर दिए हैं। अब आरक्षण से मात खाए दावेदारों को आपत्ति ही एकमात्र रास्ता विकल्प के रूप में नजर आ रहा है। लेकिन सही तर्क न होने के कारण आपत्ति पर सुनवाई की गुंजाइश भी न के बराबर है। ऐसे में लोग अजीब तर्क के साथ अपनी किस्मत को आजमाने के लिए पहुंचने शुरू हो गए हैं।
गुरुवार सुबह विकास भवन में ग्राम पंचायत आरक्षण को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराने पहुंचे मेरठ ब्लाक क्षेत्र के एक गांव निवासी दावेदार की आपत्ति ने डीपीआरओ कार्यालय के कर्मचारियों को चकित कर दिया। दावेदार ने अपना तर्क रखते हुए बताया कि इस बार उनके गांव को एससी महिला में आरक्षित किया गया है। गांव में एससी वर्ग के करीब पचास परिवार रहते हैं। लेकिन कोई भी परिवार अपने घर की महिला को ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ाना नहीं चाहता है। साथ ही सभी परिवार अपनी बात को पुख्ता करने के लिए शपथ पत्र भी देने के लिए तैयार हैं।
ऐसे में प्रशासन से गुजारिश है कि उनके गांव का आरक्षण बदलकर सामान्य कर दिया जाए। ऐसे ही परीक्षितगढ़ ब्लाक क्षेत्र के एक गांव निवासी दावेदार ने बताया कि उनके गांव को ओबीसी महिला में आरक्षित किया गया है। जबकि गांव में ओबीसी वर्ग के गिनती के ही परिवार है। यहां भी कोई ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए इस गांव का भी आरक्षण बदला जाए।
नहीं टूट रहा नियमों का तिलिस्म
शासन द्वारा त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए लागू की गई चक्रानुक्रम की प्रक्रिया को अधिकांश लोग समझ ही नहीं पाए हैं। अधिकांश को आपत्ति किस बिंदु पर की जाए, इसका पता ही नहीं है। ऐसे में तमाम दावेदारों ने अधिवक्ताओं की मदद भी ली जा रही है। लेकिन आरक्षण बदलवाने के लिए कोई ठोस कारण नहीं खोजा जा सका है।