घर को महिला ग्राम प्रधान ने बना दिया बागवानी, देखने पहुंच रहे आस पास के लोग
प्रधान के इस कार्य को खूब सराह रहे लोग
पर्यावरण को मिल रहा बढ़ावा
वेस्टेज समानों को बनाया उपयोगी
-प्रशांत कुमार
चंदौली। बकेवर बाग तो आपने कई देखें होंगे लेकिन क्या मकान की छत व बरामदे में बगीचा देखा है। जमीन नहीं है तो क्या हुआ पर्यावरण का प्रेम पूरा करने के लिए छत व बरामदा ही काफी है। कुछ इसी सोच के साथ चकिया विकास खंड के उतरौत गांव निवासी महिला ग्राम कंचन मौर्या ने अपने दो मंजिले घर की छत व बरामदे को ही बागवानी के रूप में तब्दील कर दिया है। महिला प्रधान आज सभी के लिए प्रेरणा की स्तोत्र बनी हुई है। वेस्टेज समानों को उपयोगी बनाकर आयुर्वेदिक पौधे लगाने के अलावा विदेशी व भारतीय फूल की भी खेती की है।
छत व बरामदे में सीमेंट का गमला, प्लास्टिक की बोतल, कप को काटकर उसे गमला का रुप देकर उसमें फूल को उगाकर उन्होंने एक मिसाल कायम कर दी है। आसपास के लोगों भी इस बगीचे को देखने के लिए पहुंचते रहते हैं। इस कड़े संघर्ष में कंचन के पति महेंद्र मौर्य व बच्चे भी भरपूर साथ देते हैं। कंचन ने अपनी छत की बगिया पर विदेशी व भारतीय फूल अनेको किस्म की लगा रखीं हैं।
चकिया विकास खंड के उतरौंत गांव निवासी महिला ग्राम प्रधान 45 वर्षीय कंचन को बचपन से ही पेड़ पौधों व फूल के बागियों से से काफी लगाव है।प्लास्टिक की बोतलों में तरह-तरह के पौधे लगाती रहतीं हैं। पर्यावरण के प्रति दिन प्रतिदिन इनका प्रेम बढ़ता ही चला गया। मकान या अन्य कार्य के लिए अंधाधुंध पेड़ों की कटाई शुरू हुई तो वे काफी चिंतित हो गई। उन्होंने अपने दो मंजिले मकान के छत को ही खेत का रूप दे दिया। पिछले कई साल से वे गर्मी व सर्दी के मौसम के अनुसार छत व बरामदे पर तमाम प्रकार के फूल की खेती कर रहे हैं। छत पर खेती करने के लिए सीमेंट के गमले बनवाए और प्लास्टिक के ड्रम को काटकर उसमें मिट्टी डाली। इसके बाद उन्होंने फूल लगाया। इसके अलावा आयुर्वेदिक पौधों में तुलसी, अश्वगंधा, लेमनग्रास, कालसर्प, कैनलहुला, कासमास,गुलदावदी,गजानिया,स्टोक,गेंदा, पिटूनिया,आईस फ्लावत्स, हल्दी के पौधों सहित तमाम प्रकार के विदेश व भारतीय देशी पौधों को लगाकर फूल खिला रखीं हैं। पौधों की देखभाल के लिए वे प्रतिदिन दो से तीन घंटे का समय देती हैं। पौधों में पानी देने के साथ ही दवा का छिड़काव करती हैं।
कंचन ने बताया कि इसके दो फायदे हैं एक तो पर्यावरण संरक्षित रहेगा और फूल भी मिलेंगे। छत व बरामदे को बागवानी बना दिया है। आकर्षण का केंद्र पर्यावरण प्रेमी कंचन ने फूल के पौधों के साथ छत व बरामदे पर ही एक आधुनिक पार्क भी बनाया है। जिसमें रंग विरंगे विदेशी व भारतीय देशी फूल आकर्षण का केंद्र हैं, जो भी उनका यह उद्यान देखने जाता है वह अठखेलियां करने से अपने को नहीं रोक पाता है। वह बताती हैं कि वैसे तो अपने उद्यान को रोज दो तीन घंटे का समय देती हूं और जब कभी कभी रोजमर्रा की जिदगी से ऊब जाते हैं तो इसी उद्यान मे बैठकर प्रकृति और पर्यावरण का आनंद लेकर टेंशन मुक्त हो जाती हूं। वे बताती हैं कि घर के पुराने डिब्बे में मिट्टी भरकर हम फूल उगा ही सकते हैं। वह कहती हैं कि गमले में किसानी करने का एक अलग ही आनंद है। उनका मानना है कि इससे हम प्रकृति के और नजदीक पहुंचे हैं।
आज कंचन मौर्य जनपद की सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा की स्त्रोत बनी हुई हैं। आज वे तीन जिम्मेदारी एक साथ उठा रही हैं। पहला घर के काम, दूसरा ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी व तीसरा हरियाली का संदेश देने का । उन्होंने कहा कि आप इन फूलों को देखकर खुश हो जायेंगे।