Thursday, April 24, 2025
उत्तर-प्रदेशलोकसभा चुनाव 2024

इस बार यहां से भाजपा को न मिली एक भी सीट

लखनऊ पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क 

अब जब रविवार को एनडीए गठबंधन के नेता नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने जा रहे हैं, ऐसे में यह बात तय है कि केंद्र सरकार में इस बार अयोध्या मंडल से कोई भी सांसद मंत्रिमंडल में नहीं रहेगा। वजह भी खास है, वीआइपी मंडल में शुमार अयोध्या की पांचों सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को शिकस्त मिली है।

वहीं, 2024 में मिली जीत के बाद सियासी तौर पर कमजोर विपक्षी दल एक बार फिर फार्म में आने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। बात अगर 2019 की करें तो अयोध्या मंडल की अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, बाराबंकी सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। एक अंबेडकर नगर सीट से बसपा के रितेश पांडेय ने जीत दर्ज की थी। 

ऐसे में वर्ष 2019 में वीआईपी सीट में शुमार अमेठी से कांग्रेस के राहुल गांधी को 55 हजार 120 वोटों से हराने वाली स्मृति जूबिन इरानी को केंद्र सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था। इससे पहले भी वर्ष 2014 में राहुल गांधी से चुनाव हारने के बाद भी स्मृति जूबिन इरानी को केंद्र सरकार ने मंत्री बनाया था। उस वक्त सुल्तानपुर सांसद रही मेनका गांधी भी सरकार में मंत्री थी।

इस बार सियासी परिदृश्य बदला हुआ है। अयोध्या मंडल की पांचों सीटों पर भाजपा को शिकस्त मिली है। मंडल में इस बार अयोध्या से सपा के अवधेश प्रसाद, सुल्तानपुर से सपा के राम भुआल निषाद व अंबेडकर नगर से सपा के लालजी वर्मा ने जीत दर्ज की है। 

अमेठी से कांग्रेस के गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा ने भाजपा की स्मृति जूबिन इरानी को एक लाख 67 हजार मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की है। अमेठी का मुकाबला हर किसी की जुबां पर है। वैसे मंडल में सबसे बड़ी जीत बाराबंकी के कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया के नाम है, उन्होंने दो लाख 15 हजार 704 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है।

रविवार को जब नरेंद्र मोदी शपथ लेने जा रहे हैं तो दस साल में यह पहला मौका होगा जब अयोध्या मंडल का कोई भी सांसद मंत्रिमंडल में नहीं शामिल होगा। राजनीतिक मामलों के जानकर एलपी द्विवेदी कहते हैं कि जब स्थानीय प्रतिनिधि सरकार में मंत्री होता है तो उससे काफी उम्मीद रहती है। इससे क्षेत्र के विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारने में काफी मदद मिलती थी।

विपक्षी दलों ने शुरू की कवायद

2024 का संसदीय चुनाव जीतने के बाद विपक्षी दलों ने पंचायत चुनाव व विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। 2026 में पंचायत चुनाव होना है। संगठन को मजबूत बनाने व गांव गांव तक कार्यकर्ताओं को खड़ा करने में पंचायत को काफी अहम माना जाता है। ऐसे में अब संगठन को लेकर तैयारी तेज कर दी गई है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी अनिल सिंह कहते हैं कि संगठन को और मजबूत करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं में उत्साह है। बस उसे सही दिशा में लगाए जाने की आवश्यकता है।

गुम हो गए छोटे दल

वर्ष 2024 के संसदीय चुनाव में वैसे तो अयोध्या मंडल में मुख्य मुकाबला भाजपा व इंडिया गठबंधन के बीच ही रहा। कुछेक सीटों पर बसपा ने लड़ाई को रोचक बनाने की कोशिश की लेकिन वह अपने काडर वोट तक को नहीं सहेज सकी। मंडल की अंबेडकर नगर व सुल्तानपुर दो सीटें हैं, जहां बसपा को एक लाख से अधिक वोट मिले हैं।

इसके अलावा अन्य छोटे दल सिर्फ कुछ हजार वोट तक ही सिमट कर कर गए। अमेठी की बात करें तो कांग्रेस, भाजपा व बसपा को छोड़ अन्य दल नोटा तक से पिछड़ गए। बाराबंकी, अंबेडकर नगर हो या सुल्तानपुर, यहाँ भी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को छोड़ दें तो अन्य सभी नोटा से भी पीछे रहे।

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