चुनावी दंगल की तारीखें घोषित हो गई हैं, लेकिन बरेली शहर की हॉट सीट पर ताल ठोंकने वालों की तस्वीर अभी साफ नहीं है। भाजपा व बसपा जैसे प्रमुख दलों ने अभी तक अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। दोनों ही पार्टियों में कयासों के बीच असमंजस की स्थिति है।

दावेदार जोर आजमाइश में जुटे हैं। ऐसे में संगठन के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक की निगाहें आलाकमान पर टिकी हैं। सिर्फ सपा-कांग्रेस गठबंधन ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को उम्मीदवार घोषित किया है। सबसे ज्यादा इंतजार भाजपा के प्रत्याशी का हो रहा है। पार्टी ने दो-दो सूचियां जारी कर दीं, लेकिन बरेली सीट के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।

उम्र का फंसा पेंच
यहां 1984 से लगातार पार्टी के प्रत्याशी रहे वर्तमान सांसद सतोष गंगवार इस बार भी प्रबल दावेदार हैं। वह इस सीट से आठ बार जीत चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी अधिक उम्र को अड़चन बताते हुए बदलाव की चर्चा भी जोरों पर है।
कुछ लोग इस आधार पर टिकट बदलने की बात कह रहे हैं, जबकि एक धड़ा सांसद के पुराने अनुभव को देखते हुए कोई परिवर्तन न होने की बात कह रहा है। प्रदेश में ही कई सीटों पर उम्र की अनदेखी कर टिकट दिए जाने के उदाहरण दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही कई अन्य नेताओं ने भी दावेदारी कर रखी है।

टिकट कटने पर नया चेहरा उम्मीदवार के रूप में आने की चर्चा जोरों पर है। इसके अलावा महापौर उमेश गौतम, शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक हरिशंकर गंगवार, चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक डॉ. विजय गंगवार का नाम भी दावेदारों के रूप में चल रहा है।
मुस्लिम चेहरे पर दांव लगा सकती है बसपा
बसपा के प्रत्याशी को लेकर भी असमंजस है। पार्टी से मुस्लिम चेहरा सामने आने के कयास लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही बसपा अपने पत्ते खोलेगी।
वैसे पिछला बार सपा-बसपा में गठबंधन था और यहां से सपा कोटे से भगवत सरन गंगवार संयुक्त उम्मीदवार थे। चूंकि इस बार पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, इसलिए प्रत्याशी को लेकर रहस्य ज्यादा गहराया हुआ है। वैसे पार्टी से जुड़े लोगों की मानें तो इस बार यहां से दो मुस्लिम सहित पांच दावेदार मुख्य रूप से सक्रिय हैं। अब टिकट किसकी झोली में गिरेगा, यह समय तय करेगा।

फिलहाल पार्टी के नाम पर हो रही तैयारी
टिकट घोषित न होने से दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता व नेता शांत हैं। आपस में ही गुणा-गणित लगाकर टिकट दिलवा रहे हैं। कोई किसी का टिकट पक्का बता रहा है तो किसी का। साथ ही पार्टी के नाम पर लोगों को अपने पक्ष में लामबंद कर रहे हैं। भाजपा की बूथ स्तर तक चुनाव प्रबंधन को लेकर बैठकें जारी हैं। चुनाव प्रबंधन कमेटी भी गठित हो गई है। वहीं बसपा में भी संगठन की ओर से पार्टी की स्थिति मजबूत करने के प्रयास हो रहे हैं। वैसे दोनों पार्टियों के नेता अब जल्द ही प्रत्याशी घोषित होने की उम्मीद जता रहे हैं।
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