Sunday, April 28, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

श्मशान घाट में बना हुआ है अनोखा मंदिर, मन्नत पूरी होने पर देनी पड़ती है बलि, परदेस में मृत्यु होने पर भी यहीं आता है शव……

बेलहर, बांका। प्रखंड क्षेत्र के चौरा, लखराज, खुटहरी और राजपुर गांव के बीच श्मशान घाट में स्थापित ब्राह्मणी काली मंदिर की ख्याति कोसों दूर तक फैली है।

ब्राह्मणी काली मंदिर में माथा टेकने और मन्नत मांगने के लिए स्थानीय ही नहीं बल्कि कई जिलों से लोग आते हैं। मन्नत पूरी होने बाद श्रद्धालु धूमधाम से पूजा अर्चना और पशु बलि प्रदान करते हैं।

यहां होता है बसंत मेले का आयोजन

संतान प्राप्ति और रोग निवारण के लिए मन्नत मांगने कोसों दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। काली मंदिर प्रांगण में वैशाखी पूर्णिमा के दिन बसंत मेले का भी आयोजन होता है, जहां प्रसाद का सेब आदि फलों का वितरण पूरे गांव में किया जाता है।

मेला व्यवस्था के लिए युवाओं की टोली मुस्तैद रहती है। ब्राह्मणी काली मंदिर की स्थापना करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व श्मशान घाट में गांव के पूर्वजों द्वारा की गई थी। जहां के शवों का अंतिम संस्कार काली मंदिर के ही श्मशान घाट पर मैथिलि रीतिरीवाज से होता है। परदेस में भी मृत्यु होने पर शव का अंतिम संस्कार उक्त श्मशान घाट पर कई पीढ़ियों से होता आ रहा है।

40 वर्ष पूर्व कच्ची मंदिर का हुआ था निर्माण

40 वर्ष पूर्व कच्ची मंदिर का निर्माण किया गया। फिर लोगों का आवागमन बढ़ गया। संग्रामपुर के पूर्व प्रमुख संजीव कुमार यादव सहित गांव के युवाओं ने मंदिर को विकसित करने का काम शुरू किया। तीन साल पूर्व पक्की मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।

पिछले वर्ष मंदिर में राजस्थान से मंगाए गए पत्थर के प्रतिमा की स्थापना हुई। प्रतिमा एक ही काले पत्थर पर काली माता का स्वरूप है। स्थापना के लिए बनारस और गुरुधाम से पंडित आए थे।

पुजारी त्रिलोचन झा उर्फ ध्रुव, अध्यक्ष अशोक कुमार झा बाबा, सचिव सुधीर कुमार झा, कोषाध्यक्ष संजय कुमार झा मशान, लाल बाबू झा, अधिवक्ता त्रिपुरारीचरण झा, पंसस संजय झा, कन्हैया झा, गणेशचंद्र झा, राणा सिंह, रामबाबू सिंह, लक्ष्मण सिंह आदि मंदिर के विकास, पूजा अर्चना, मेला आदि के लिए सक्रिय रहते हैं।

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