साइकिल पर घर घर दूध बेच रहीं यह 62 साल की महिला, लोग आदर से कहते हैं शीला बुआ……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
आगरा। लाल चुनरी ओढ़ जिस देहरी से 40 साल पहले निकली थीं। नियति ने एक साल बाद ही सफेद धोती मेंं उसी देहरी पर लौटने को मजबूर कर दिया। महज चार बीघा जमीन के मालिक बुजुर्ग पिता का खेतीबाड़ी में हाथ बंटाकर चार बहनों और भाई की शादी कर दी। करीब 24 साल पहले पिता और फिर मां की मौत ने झकझोर दिया। मगर हिम्मत नहीं हारी। भैंस पालकर गांव में दूध बेचने लगीं। फिर और भैंस खरीदीं। गांव से पांच किमी दूर अमांपुर कस्बा में साइकिल से जाकर घर.घर दूध बेचने लगीं। 62 साल की शीला बुआ आज भी साइकिल से ही दूध बेचने जाती हैं।
जिंदगी की तमाम भंवर को पार करने वाली शीला देवी के पारिवारिक जिम्मेदारी, सूझबूझ और मेहनत के इस संगम में तारीफों की लहरें उठती हैं। गांव खेड़ा निवासी रामप्रसाद की पांच बेटियों में सबसे बड़ी शीला की शादी वर्ष 1980 में अवागढ़ के रामप्रकाश के साथ हुई थी। सुहागन होने की पहली सालगिरह बाद ही विधवा हो गईं। हालात कुछ ऐसे बने कि मायके आ गईं। दोबारा शादी की तैयारियां हो रही थीं। मगर इसी दौरान बड़े भाई कैलाश की बीमारी से मौत हो गई। आहत शीला ने अपने बारे में सोचना ही बंद कर दिया। पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाने लगीं। चार बहनों और छोटे भाई विनोद की शादी हो गई। वर्ष 1996 मेंं पिता और कुछ समय बाद मां का निधन हो गया। स्कूल तो नहीं गईं, मगर जिंदगी के एक.एक दौर का हिसाब रखती हैं। शीला बताती हैं कि वर्ष 1997 में उन्होंने एक भैंस पाली। साइकिल चलाना जानती थीं। सो अमांपुर कस्बा जाकर दूध बेचने लगे। दूध की मांग बढ़ी तो और भैंस पाल लीं। अब मेरे पास पांच भैंस हैं। हर रोज औसतन 40 लीटर दूध हो जाता है।