आठ महीने की बच्ची को अनजान के हवाले कर गई महिला, आंखों से देख नहीं सकती मासूम…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
आगरा। मां, मैं देख नहीं सकती। पूरी जिंदगी अंधेरे में ही गुजारनी है। मगर तूने क्यों हमेशा के लिए निगाह फेर ली। मुझे किसी की गोदी में डालकर चली गई। झूठ बोलकर कि अभी आती हूं और तू तीन दिन तक आई ही नहीं। अब तो लगता है कि तू मुझे लेने आएगी भी नहीं। तुझे नहीं पालना था तो कोख में क्यों पाला। दुनिया में कदम रखते ही आंखों ने धोखा दे दिया तो मेरा क्या कसूर। राजकीय शिशु गृह में असहाय की तरह रह रही आठ माह की बच्ची अपनी मां से शायद सही सवाल कर रही होगी। कोख से घर के आंगन और फिर राजकीय शिशु गृह तक पहुंचने की तेज यात्रा की मंजिल उस बच्ची के लिए क्या होगी, ये तो भविष्य के गर्त में है। मगर देखने और सुनने के लिए उसकी ये यात्रा झकझोरने वाली है। इसलिए कि बच्ची नेत्रों से जन्मजात दिव्यांग है।
मोहल्ले की बहू समझकर बच्ची को गोद में ले ली थीं कमलेश
वाकया 20 फरवरी का है। बोदला के बीधा नगर निवासी 55 वर्षीय कमलेश अपने मकान के दरवाजे पर बैठी थीं। कमलेश ने बताया कि घूंघट किए करीब 30 वर्षीय महिला उनके पास आई। बच्ची को गोद में देते हुए बोली कि अभी आती हूं। उन्हें लगा कि मोहल्ले की कोई बहू होगी। कई घंटे बाद भी नहीं आई तो उसकी खोजबीन की गई। लेकिन सब व्यर्थ। महिला बच्ची के साथ एक थैला छोड़ गई थी। उसमें बिस्किट के तीन पैकेट और जयपुर से आगरा तक की बस यात्रा का टिकट था। माना जा रहा है कि महिला जयपुर से आई होगी। आगरा से जरूर उसका कोई संबंध होगा। कुछ गलत होने की आशंका पर कमलेश के स्वजन बच्ची को लेकर बोदला पुलिस चौकी पहुंचे। पुलिस की कार्रवाई के बाद बच्ची को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया।