Saturday, April 27, 2024
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कांशीराम आवास घोटाले के मामले में कोर्ट ने एसडीएम] ईओ समेत चार को भेजा जेल] 21 अभी भी फरार—–

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

चंदौली। कांशीराम आवास घोटाले के मामले में पुलिस ने चार आरोपितों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्याम बाबू की अदालत में पेश किया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी आरोपितों को जेल भेज दिया। पेशी के दौरान कोर्ट परिसर में गहमा.गहमी का माहौल रहा। गिरफ्त में आए इन चार आरोपितों में तत्कालीन तहसीलदार सुनील वर्मा अब आंबेडकर नगर में एसडीएम, अधिशासी अधिकारी  बलिया में तैनात, तत्कालीन लेखपाल रामदुलार राम अब चकिया में कानूनगो, तथा अपात्र आवंटित बिहार निवासी हरेंद्र कुमार हैं।

यह है पूरा मामला

अभियोजन के अनुसार 15 मई वर्ष 2013 में वादी की तहरीर पर पुलिस ने सदर कोतवाली में आइपीसी की धारा 419, 420, 467,68, 71 व 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया किया था। आरोप था कि सदर नगर पंचायत के ईओ , तहसीलदार सुनील बरनवाल, लेखपाल, कानूनगो आदि सरकारी कर्मचारियों ने 38 अपात्र लोगों को मिलीभगत से कांशीराम आवास का आवंटन कर दिया। इनमें सरकारी कर्मचारियों के अलावा उनके रिश्तेदार व खास लोग भी शामिल हैं। उस समय पुलिस ने मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। बाद में हाइकोर्ट व शासन से मिले निर्देश के बाद की गई जांच के बाद पुलिस ने सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों समेत 38 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

ताबड़तोड़ छापेमारी कर गिरफ्तार किए गए आरोपित

इसी कड़ी में पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर तीन दिनों के भीतर आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें सोमवार को रसड़ा बलिया के ईओ को गिरफ्तार किया गया था। वहीं मंगलवार को पुलिस ने आंबेडकर में एसडीएम सुनील को गिरफ्तार कर यहां ले आई। इसी कड़ी में तत्कालीन लेखपाल व चकिया में तैनात कानूनगो रामदुलार राम तथा बिहार सीमा से अपात्र आवंटित हरेन्द्र कुमार को गिरफ्तार कर पूछताछ के बाद न्यायालय के समक्ष पेश किया। देर शाम सभी आरोपितों को वाराणसी के जिला जेल में पुलिस ने दाखिला करा दिया। इनमें से एक अधिकारी ने स्वास्थ्य संबंधी शिकायत की जिसपर जेल के अधीक्षक को आदेशित किया गया कि वह इनकी जांच जेल के डाक्टर से कराए।

हाई कोर्ट में दाखिल किया था पीआइएल

मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर बाद में इस प्रकरण में फाइनल रिपोर्ट लगी दी गई। इसपर मुकदमा के वादी चंद्रमोहन सिंह ने 14 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट में पीआइएल दाखिल किया। हाईकोर्ट ने मामले में पुर्नविवेचना का आदेश दिया। साथ ही शासन स्तर से निर्देश मिलने पर डीएम के माध्यम से एडीएम ने प्रकरण की जांच की। एडीएम की रिपोर्ट में कहा गया कि 38 अपात्र लोगों को आवास आवंटित किया गया। इसके बाद ईओ, तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगो समेत 11 सरकारी कर्मचारियों को आरोपित बनाया गया।

हाई कोर्ट में पेश हुए एसपी

बीते 16 नवंबर को हाई कोर्ट की ओर से तलब किए जाने पर एसपी मामले में कोर्ट में पेश हुए। इसी कड़ी में मामला तूल पकड़ता देख पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर तीन दिनों के भीतर आठ आरोपितों को आरोपितों को गिरफ्तार किया।
क्या कहती है पुलिस

सदर कोतवाल राजीव प्रताप सिंह ने बताया कि आवास घोटाले के मामले में चीर आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट के आदेश पर सभी को जेल भेज दिया गया।

दो लेखपाल तथा चार अपात्र लाभकारियों की हो चुकी है मौत

पुलिस की जांच में बनाए गए 38 आरोपितों में दो लेखपाल तथा चार अपात्र लाभकारियों की मौत हो चुकी है। वहीं इस मामले में बचे 21 लोगों में से 11 लोगों का नाम पता पुलिस को ज्ञात हुआ है जिसकी तलाश सरगर्मी से की जा रही है।

16 महिलाएं भी हैं आरोपित

कांशीराम आवास घोटाले के मामले में जमकर मनमानी की गई। चहेतों को आवास आवंटित किए जाने में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। इसी का नतीजा था उस समय मौजूदा सरकारी कर्मचारियों व उनके चहेतों ने आवास आवंटित करने में अपने घर व रिश्तेदार महिलाओं के नाम आगे किए। अब इस मामले में 16 महिलाएं भी आरोपित हैं। दूसरी ओर एक महिला ने पूर्व में आवास आवंटित होने के बाद प्रार्थना पत्र देकर उसे निरस्त करा दिया था। अब यह महिला सरकारी गवाह हैं।

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