कैसे पूरा होगा ओलंपिक में पदक जीतने का सपना, यूपी के खेल संघों पर गैर खिलाड़ियों का है कब्जा…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। केंद्र सरकार ने खेल रत्न अवार्ड का नाम महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद्र भले ही रख दिया है। लेकिन देश में खेलों और खिलाडिय़ों की कमान नेताओं, अफसरों और कारोबारियों के हाथों में ही है। ऐसे में सरकार की मंशा खेल संघों की सफाई बिना पूरी नहीं होगी। उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ है जो ओलिंपिक में भाग लेने वाले तमाम देशों से अधिक होगी। यूपी से दस खिलाडिय़ों ने ओलिंपिक में भाग लिया। लेकिन हॉकी टीम के खिलाड़ी ललित उपाध्याय को छोड़कर किसी को पदक नहीं मिल सका। बेशक ओलिंपिक में भागीदारी ही बहुत बड़ी उपलब्धि है। लेकिन पदक तालिका भी बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम करना होगा। दरअसल खेल संघों पर गैर खिलाडिय़ों ने कब्जा कर रखा है। आपसी राजनीति में खेलों का बेड़ागर्क हो रहा है। खेलों को आगे बढ़ाने से अधिक जोर संघों पर काबिज रहने पर रहता है।
पूर्व ओलिंपियन का कहना है कि नेताओं और अफसरों को संघों में बैठाना हमारी मजबूरी है। इनसे आर्थिक मदद तो मिलने में आसानी होती है। लेकिन खेल का नुकसान होता है। यही वजह है कि एक.दो खेलों को छोड़कर यूपी की खेलों में आज तक खास पहचान नहीं बन सकी है। अधिकांश खेल संघों में ऐसे ही लोग विराजमान हैं। जिनका खेलों में कोई अनुभव नहीं रहा है। उत्तर प्रदेश ओलिंपिक संघ को ही देखें तो भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान आरपी सिंह को छोड़कर लगभग सभी पदों पर मंत्री, विधायक, नौकरशाह और कारोबारी विराजमान हैं।