सीएम योगी पर अखिलेश यादव ने कसा तंज, कहा जो यह चलाना नहीं जानते, वह भला क्यों बांटें….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
उन्नाव। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। अपने उन्नाव दौरे के दौरान अखिलेश ने सरकार पर एक के बाद एक कई आरोप गढ़े थे। पंचायत चुनाव में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने बुधवार को यहां भारतीय जनता पार्टी पर भी कटाक्ष किया। वहीं कोरोना संक्रमण के समय में हुई मौतों के विषय में अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा कभी सही आंकड़ा नहीं देगी कि कितने लोगों की मौत कोरोना से हुई है।
महिलाओं के कपड़े खींचने तक से नहीं चूके अनुशासित भाजपाई समाजवादियों को प्रशासन से कोई शिकायत नहीं है। शिकायत इसलिए नहीं है क्योंकि अभी कुछ दिन पहले जिला पंचायत ब्लाक प्रमुख चुनाव में देख लिया है। जिस ईमानदारी से उन्होंने चुनाव कराए पूरे देश और दुनिया ने देखा है। भाजपा के अनुशासित सिपाही इस सीमा तक पहुंच गए कि महिलाओं के कपड़े तक खींचने से नहीं चूके।
प्रोटोकाल टूटे तो दोष प्रशासन का अखिलेश ने कहा कि कार्यक्रम का यह स्वरूप इसलिए है। क्योंकि प्रशासन ने सिर्फ 50 लोगों की ही अनुमति दी है और 50 लोग तो सिर्फ मेरी सुरक्षा में हैं। सौ लोगों को प्रशासन ने यहां भेज दिया। कुछ और जबकि बाकी मीडिया के लोग हैं। अब इसके बाद प्रोटोकाल टूटे तो दोष प्रशासन का होगा। उनका नहीं। इससे पहले कार्यक्रम आयोजक पूर्व विधायक रामकुमार ने भी प्रशासन की तरफ से कार्यक्रम के बदलाव आदि को लेकर लगाई गई बंदिशों का जिक्र किया।
मुख्यमंत्री योगी पर हमला कर भाजपा पर निशाना सपा अध्यक्ष ने कहा कि सीएम ने लैपटाप नहीं बांटे क्योंकि वह लैपटाप चलाना नहीं जानते और वो क्या करना जानते हैं ये नहीं बताएंगे। बोले किसानों और जनता के साथ धोखा हुआ है। किसानों से आय दोगुनी करने का भाजपा ने वादा किया था। लेकिन साढ़े चार साल में कुछ नहीं किया। अब सरकार को किसानों की आय तो घोषित करनी चाहिए। जिससे उनकी वास्तविक आय पता चले। देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी महंगाई बढ़ी है। भाजपा ने अपना संकल्प पत्र कूड़ेदान में फेंक दिया है। कोरोना से लाखों गरीबों की जान चली गई उन्हें इलाज नहीं मिला पर सरकार राज्यसभा में बयान दे रही है कि आक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं हुई। इन मौतों की जिम्मेदार केवल भाजपा सरकार है। सबसे सस्ती दवाओं की उपलब्धता ख्वाब ही रहा बल्कि उनकी ब्लैक में बिक्री हुई।