Thursday, April 24, 2025
उत्तर-प्रदेश

भैंस चोरी का केस न लिखने पर पूरे थाने को किया था निलंबित;

चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने पर रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा कहते हैं कि जिस तरह अटल जी की स्वीकार्यता हर दल के नेताओं में थी, उसी तरह चौधरी चरण सिंह की स्वीकार्यता भी हर दल के नेताओं में थी। 

अनुपम मिश्रा कहते हैं चौधरी जी के बारे में एक बात काफी चर्चित है कि जब वह प्रधानमंत्री थे, एक बार मेरठ में एक सामान्य किसान के रूप में एक थाने पहुंचे। वहां उन्होंने बताया कि वह किसान हैं और उनकी भैंस गायब हो गई है। उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी। 

बाद में थाने वालों ने ले-देकर भैस खोजने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह पढ़े-लिखे नहीं हैं। इस पर पुलिस वाले ने उनसे लिखकर लिया और उनका अंगूठा लगवा लिया। पैसा देने पर भैंस खोजने की बात कही। इसी कागज पर बतौर पीएम उन्होंने मुहर लगाते हुए पूरे थाने को निलंबित किया था। 

उन्होंने मंत्रियों को वेतन-बिल की सुविधा पास कराई थी। देश और प्रदेश की 70 फीसदी से ज्यादा कृषि आधारित व्यवस्था में यह सम्मान सभी किसानों-गरीबों का सम्मान है। यह खेतों और फसलों का सम्मान है। पीएम को धन्यवाद की उन्होंने बहुप्रतीक्षित मांग पर यह घोषणा की। यह करोडों किसानों, श्रमिकों, कामगारों का सम्मान है।

गलती का एहसास कराकर देते थे सजा
पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर सरकार ने किसानों की चिंता की है। लोग इसे राजनीतिक नजरिए से देख सकते हैं लेकिन मेरे हिसाब से यह एक नई उम्मीद है। किसानों का इससे सम्मान जगेगा। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह किसान और अधिकारियों की सुनते थे। सुनने के बाद संबंधित को उसकी गलती का एहसास कराकर सजा देते थे। इससे वह आदमी दोबारा गलती नहीं करता था। यह बहुत अच्छा निर्णय है।

राजनीति को गांव की देहरी तक लाए
राज्य योजना आयोग के पूर्व सदस्य व लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर पवार ने कहा कि देर से ही सही लेकिन चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का निर्णय अच्छा है। चौधरी जी का खेती-किसानों को लेकर व्यवहारिक दृष्टिकोण था। वह जमीन और किसान के रिश्ते को समझते थे। उन्होंने जमीनी उन्मूलन कानून लागू कराकर न सिर्फ किसानों को उनका हक दिलाया बल्कि किसान और गरीब को भी राजनीति के केंद्र में लाया।  

इससे पहले राजनीति पढ़े-लिखे, डॉक्टर, वकील और जमींदारों की मानी जाती थी। किंतु इसके बाद राजनीति किसान और गांव की देहरी तक आई। राजनीतिक दलों ने किसानों की भी सुननी और समझनी शुरू की। चौधरी साहब की किसानों और आम लोगों के बीच पैठ किस तरह थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह छपरौली से 40 साल लगातार विधायक रहे हैं।

इसी तरह चौधरी चरण सिंह ने जातिवाद पर कड़ा प्रहार किया था। उस समय जाति के नाम पर काफी स्कूल-कॉलेज खुले थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर स्कूल-कॉलेजों के नाम से जाति का नाम नहीं हटेगा तो उसे सरकारी अनुदान नहीं दिया जाएगा।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *