वेब सीरीज से भी ज्यादा खतरनाक है मीरजापुर की ये जगह, कमजोर दिल वाले न करें यहां जाने की गलती……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
मीरजापुर। चर्चित वेब सीरीज मिर्जापुर पार्ट एक और दो ने जिस तरह से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, उसे देखकर लगता है कि आने वाला सीजन भी धमाकेदार होने वाला है। इस वेब सीरीज के बाद से मिर्जापुर जिले के कई जगहें लोगों की जुबान पर चढ़ी हुई हैं। आज हम किसी टूरिस्ट प्लेस की बात नहीं कर रहे हैं। यहां हम मिर्जापुर जिले के उस जगह की बात कर रहे हैं, जहां भूतों का मेला लगता है। एक बार जब आप भी यहां की डरावनी जगहों के बारे में जान जाएंगे तो आपको वहां जाने के लिए हिम्मत नहीं कर पाएंगे।
अंधेरी रात में घने जंगल से आती चीत्कार और घिघियाने की दिल दहला देने वाली आवाजें, जो रोंगटे खड़े कर दे। नजारा ऐसा कि आंखों पर विश्वास न हो। दृश्य जो कई दिनों तक आपको सोने न दें। भूत.प्रेत की कल्पना को सजीव रूप में देखना है तो मिर्जापुर जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर अहरौरा स्थित जंगल महाल बरही गांव आना होगा।
यहां हजारों कथित भूतों का जमघट एक साथ अपनी अपनी हरकतों से आपको चौंका देगा। कदम डगमगा जाएंगे और आप उनको जानने समझने से ज्यादा उनसे दूरी बनाते नजर आएंगे। जंगलों के गर्भ में सूनी पड़ी बेचूबीर बाबा की चौरी का सामना करते ही भूतों की बदहवास हरकतें आपको हिला कर रख देंगी।
दिल दहलाने वाला यह नजारा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर एकादशी तक आपकी आंखों के सामने दिखाई देगा। यहां के लोगों का मानना है कि बाबा की चौरी पर आते ही लोगों के ऊपर चढ़ा हुआ भूत नाचने लगता है और जब तक पीड़ित प्रेत बाधा से मुक्त नहीं पा लेता हैए तब तक वह खेलता रहता है।
साथ ही मान्यता है कि जिनको संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है। वह अगर बाबा की चौरी पर लगातार तीन बार सच्चे मन से आते हैं तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। बेचूबीर बाबा की चौरी की देखभाल और पूजा बाबा के परिवार के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी करते चलते चले आ रहे हैं। इस कौतूहल की सच्चाई का सामना करना आसान नहीं माना जा सकता।
बियाबान जंगल में नीम के पेड़ के नीचे की चौरी के दर्शन मात्र से ही भूत.प्रेत बाधाओं के इलाज की मान्यता है। इसे बेचू बीर बाबा की चौरी बताई जाती है। भूतों के इस मेले की कहानी 400 वर्ष पुरानी बताई जाती है। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश झारखंड बिहार ही नहीं अन्य प्रांतों के लोग भी भूतों से निजात तथा प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए इस मेले में आते हैं।
बलिया, देवरिया गाजीपुर से एक जाति विशेष के लोगों की मेले में बहुतायत मौजूदगी रहती है। भूतों के इस मेले में बाबा की ख्याति सूनी गोद को भरने की भी बनी हुई है। विज्ञान ने आज भले ही कितनी ही तरक्की क्यों न कर ली हो लेकिन एक ऐसा तबका जरूर होता है जो अंधविश्वास में ज्यादा विश्वास रखता है। ऐसे ही लोगों की भीड़ इस मेले में उमड़ती है।
बेचूबीर बाबा की कहानी
लोग बताते हैं कि जिस समय बेचूबीर बाबा के ऊपर शेर ने हमला किया था। उस समय बाबा की पत्नी गर्भवती थीं। उनकी पत्नी ने बेटे को जन्म देकर प्राण त्याग दिया। उसके बाद लोगों ने बाबा की पत्नी की समाधि चौरी वहीं पर बनाई और उनकी भी पूजा होने लगी। चौरी के सामने बैठकर भूतों के खेलने हबूआने का खेल चलता है। जिसको कमजोर दिल के लोगों का देख पाना संभव नहीं है।