Monday, May 6, 2024
उत्तर-प्रदेशवाराणसी

चकियाः कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है इस लिए रहें सजग, राष्ट्रीय वेबिनार में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/डीपीआरओ ने दिए व्याख्यान….

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। गुरुवार की शाम पांच बजे से मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व पूर्वांचल पोस्ट फाउण्डेशन उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में कोरोना काल में मीडिया व सामाजिक चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें देश के कई विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर व अन्य जनपदों के अधिकारियों ने महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान दिए।

 


राष्ट्रीय वेबिनार का शुभारंभ करने के दौरान मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग के विभागध्यक्ष प्रोफेसर फरियाद ने कहा कि एक ऐसा संकट आया जिसकी कभी किसी ने भी कल्पना नहीं किया था। ऐसे बुरे वक्त में लोगों ने काफी सकारात्मक परिचय दिए। कोई भूखा न रहे इसके लिए अपने जान की परवाह न करते हुए उनके तक जाकर भोजन पहुंचाने सहित अन्य मदद करने का काम किया गया। ऐसे वक्त में प्रिंट मीडिया ने मजबूती के साथ लोगों के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। जिससे उनकी आवाज सरकार तक पहुंची। लेकिन कुछ ऐसे भी टीवी चैनल थे जिसने टीआरपी के चक्कर में उन्माद फैलाने का काम किए। जिस पर उनके पर जुर्माना भी लगाया गया। इस बूरे वक्त में 300 से ज्यादा पत्रकार भाईयों की जान भी जा चुकी है। मीडिया घरानों से एक तिहाई नौकरियां कम भी हो चुकी है।

 


वहीं वेबिनार का अध्यक्षता करते हुए बाबा भीम राव अंबेडकर केंद्रीय विश्व विद्यालय के स्कूल आफ मीडिया एण्ड कम्यूनिकेशन के डीन प्रोफेसर गोविन्द पांडेय ने कहा कि हम यह जानते है कि महामरी कभी भी विश्व में आई तो 100 वर्ष के अंतराल पर आई। हमने कोरोना काल को देखा और महसूस किया और कर भी रहैं कि किस तरह लोगों ने अपनी जान गंवाई। मीडिया से भी इस संकट के दौर में कई गलतियां हुई। वर्तमान समय में मीडिया अपने पूरे रंग में आ चुकी है। मीडिया का मतलब पहले के समय में सिर्फ प्रिंट मीडिया से सूना जाता था। लेकिन मीडिया का स्वरुप धीरे-धीरे बदल गई। वहीं 2005 में सोशल मीडिया यानि तीसरी दूनिया समाज उभर कर सामने आई। मीडिया इस संकट के दौर में हमें जागरुक किया। मीडिया लोगों को डराती नहीं है। इस महामारी में जितने भी पत्रकार थे वे इसके लिए प्रशिक्षित नहीं दे कि वे हमें इस महामारी में क्या लिखना है क्या नहीं। जो भी सामने आया उसे लोगों के बीच प्रस्तुत कर दिए। मीडिया ने ही सरकार को समय-समय पर लोगों के हित के लिए चेताया। जिसके बाद सरकार उन समस्याओं को हल करने के लिए कदम उठा रही थी। मीडिया को दोषी ठहराना गलत है। सरकार हर जगह कोविड सेंटर बनाए जिससे लोगों के तकलीफ, समस्याओं को दूर किया जा सके।

 


वहीं गुरुगोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर डा. दुर्गेश त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान मीडिया ने अपने जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते हमारे कई पत्रकारों ने अपनी जान दे दिए। उनको हम शहीद पत्रकार का दर्जा देते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सिर्फ मीडिया का देष देना गलत है। मीडिया भी समाज का एक हिस्सा है। समाज के लोगों को भी अपने जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा ज्वाइंट मजिस्ट्रेट चकिया ने कहा कि कोरोना काल में मीडिया का रोल भी काफी बढ़ गया। इस संकट के दौर में हम लोगों ने मीडिया के साथ मिलकर काफी काम किए। मीडिया ने लाकडाउन में लोगों तक खबरें पहुंचाई। जैसे लाकडाउन के तहत घरों में रहें, समय-समय पर शासन द्वारा जारी गाइड लाइनों को सभी तक पहुंचाने का कार्य करते थे। लोग कहां भूखें हैं उनके तक मदद पहुंचे इसके लिए बराबर मीडिया के साथियों ने हम लोगों को समय-समय पर अवगत कराया।

वहीं जिला पंचायत राज अधिकारी जनपद फिरोजाबाद के नीरज सिन्हा ने कहा कि जब कोरोना का पहला लहर प्रारंभ हुआ तो लोगों के अंदर भय का माहौल व्याप्त हो गया। उस समय न तो इवाईयां थी नहीं वैक्सीन। इस मुश्किल वक्त में लोगों को दूरी बनाने, हाथों को धोने, मास्क लगाने के साथ ही घरों में रहने का अपील गांव-गांव गांव में किया जा रहा था। निगरानी टीम से जुड़े सदस्यों ने भी गांव में जाकर लोगों को इससे हानी व बचाव के बारे में बताया। निगरानी टीम के सदस्य लेखपाल, कोटेदार व ग्राम प्रधान सभी मिलकर प्रवासी मजदूरों को कैसे लाया जाए, क्वारंटीन सेंटर में कैसे खाना पहुंचाया जाए इसके लिए सभी ने काम किया। दूसरी लहर में भी हमने मजबूती के साथ कोरोना लडते हुए लोगों को जागरुक किए। अभी सीएम द्वारा कोरोना संबंधित एक पत्र ग्राम प्रधानों को भेजा जा रहा है। जिससे ग्राम प्रधान गांव के लोगों को जागरुक करें।

इस दौरान राष्ट्रीय वेबिनार का विषय परिर्वतन मदन मोहन मालवीस हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक व आयोजक प्रो. ओम प्रकाश सिंह व संचालन मान्यता प्राप्त पत्रकार विनय  ने किया। वहीं वेबिनार में दूर-दूर से जुड़े लोगों में प्रशांत कुमार, डा. राजन त्रिपाठी, डा. श्रीराम त्रिपाठी, पूर्वांचल पोस्ट फाउण्डेशन के अध्यक्ष शीतला केशरी, मुहम्मद जावेद, डा. जिनेश, मांसी मिश्रा, रोहित सोनकर, अरुन, अवनीश प्रताप, गौरव जायसवाल, चंद्रसील पांडेय, प्रगति गुप्ता, नेहा कुमारी, चेतना, नीतू कुमारी, आफरिन बानों, इं. मनोज, राम आशीष भारती, लव कुमार अनिषा यादव सहित अन्य विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर व प्रतिभागी जुड़े रहे हैं।

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