रविवार को डीडीयू जीआरपी ने एक बार फिर 103 किलो चांदी व तीन लाख 75 हजार रुपयों के साथ तीन युवकों को गिरफ्तार किया है। जिसके लिए सीओ जीआरपी कुंवर प्रभात में टीम को पाँच हजार रुपए की नगद राशि का इनाम भी दिया है। ऐसे में यह प्रतीत हो रहा है कि जीआरपी की टीम डीडीयू जंक्शन रेल रूट से होने वाली शराब, कछुआ समेत अन्य अन्य चीजों की तस्करी पर जल्द लगाम लगा लेगी।
दरअसल डीडीयू जीआरपी ने प्लेटफार्म संख्या 1/2 के पूर्वी छोर से तीन युवकों को गिरफ्तार किया है। जिनके पास से 103 किलो 119 ग्राम चांदी की सिल्ली बरामद की है। इसके अलावा उनके पास से तीन लाख 75 हजार रुपए नगद भी बरामद किया गया है। बरामद चांदी की अनुमानित कीमत एक करोड़ रूपया बताई गई। ऐसा नहीं किया पहला मामला है गत दिनों पूर्व भी जीआरपी डीडीयू ने करीब 50 लाख की चांदी के जेवरात बरामद किए थे। जीआरपी द्वारा इतनी बड़ी बरामद की को लेकर जीआरपी सीओ कुंवर प्रभात सिंह ने बरामद करने वाली टीम की प्रशंसा की, साथ ही उन्हें पाँच हजार रुपए का नगद इनाम भी दिया है।
किसी भी प्रकार की तस्करी के लिए ट्रेन मानो मुफीद साधन साबित हो रहा है। शायद यही वजह है कि ट्रेनों से मादक पदार्थ शराब, ड्रग्स के साथ ही गांजा की भी तस्करी होती रही है। इसके अलावा संरक्षित जीवों के साथ ही हवाला के पैसे व सोने चांदी की खेत भी इसी रास्ते से होकर जाते रहे हैं। हालांकि मादक पदार्थ और संरक्षित जीवन के तस्कर अभी डीडीयू जीआरपी की पहुँच से शायद दूर है। लेकिन इसी जीआरपी के पुराने खुलासों की बात करें तो भारी मात्रा में मादक पदार्थ और कछुए भी बरामद किए गए हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल यह कि क्या इस रेल रूट से शराब, गाँजा, अफीम, कछुआ आदि की तस्करी होना बंद हो गई है ? और अगर यह तस्कर भी सक्रिय है तो इस चांदी पकड़ने वाली टीम के लिए वह बड़ी चुनौती हैं।
बहरहाल इस पूरे मामले पर सीओ जीआरपी कुँवर प्रभात ने बताया कि चांदी की यह खेप बनारस से कोलकाता के लिए लेजा जा रही थी। ये राजधानी एक्सप्रेस पकड़ने की फिराक में थें। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि इससे पहले भी वह चांदी की खेप ले जा चुके हैं। आरोपियों की पहचान राकेश कुमार यादव, अभिजीत मंडल और सुदीप्तो मंडल निवासी पश्चिम बंगाल के रूप में हुई। आरोपितों के खिलाफ विधि कार्रवाई कर जेल भेजा जा रहा है।
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बदायूं, लखनऊ।
वर्ष 2023 के एक मामले में मूसाझाग थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष और दरोगा समेत दस पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी पंजीकृत हुई है। सभी पुलिसकर्मियों पर घर में घुसकर लूटपाट, मारपीट व फर्जी तरह से गैंगस्टर की कार्रवाई करने का आरोप है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है
मूसाझाग थाना क्षेत्र के गांव हसनपुर निवासी सिराजउद्दीन ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देते हुए बताया था कि गांव में उनकी कुछ लोगों से दुश्मनी चल रही है। उनसे सांठगांठ के चलते एसआई सुनील कुमार आठ जुलाई 2023 को पुलिस टीम के साथ उनके परिवार के सालिम के घर में घुस आए। उनके और उनके बीवी बच्चों के साथ खूब मारपीट की।
आरोप है कि सभी पुलिसकर्मियों ने बक्से का ताला तोड़कर आठ हजार रुपये, चांदी की पाजेब और सोने की अंगूठी लूट ली। उनके परिवार वालों के साथ गाली गलौज की और वहां से चले गए।
गोवंशीय की हत्या के आरोप में जेल भेजा
नौ जुलाई को उन्होंने सीओ से इसकी शिकायत की तो पुलिसकर्मी और बौखला गए। वह 22 जुलाई को फिर से उनके घर में घुस आए। उन्होंने सालिम, अशरफ, ताजिव, गुल मोहम्मद, मुस्तकीम और कमालुद्दीन को पकड़ लिया।
पुलिस को देखकर मुहल्ले के कई लोग आ गए। उन्होंने पुलिस से उन्हें छोड़ने को भी कहा था, लेकिन वह उन्हें थाने लेकर चले गए। रात भर थाने में एसआई सोमेंद्र भदौरिया, थानाध्यक्ष शिवेंद्र सिंह, सिपाही हरीश कुमार, अर्जुन सिंह, प्रेमराज, गौरव सिंह, नरेश कुमार और भोजराज सिंह ने उनके साथ मरपीट की। सुबह कुल्हाड़ी, हसिया और छुरी आदि लगा कर गोवंशीय की हत्या के आरोप में जेल भेज दिया।
आरोप है कि बाद में थानाध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह बने। उन्होंने दो लाख रुपये मांगे और कहा कि अगर रुपये नहीं दिए तो गैंगस्टर लगा देंगे। उन्होंने रुपये नहीं दिए तो पुलिस ने उनके ऊपर गैंगस्टर भी लगा दी।
इस संबंध में उन्होंने पुलिस अधिकारियों से शिकायत भी की थी, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब उन्होंने न्यायालय की शरण ली। अब मूसाझाग थाना पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन थानाध्यक्ष शिवेंद्र सिंह, थानाध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह समेत सभी दस पुलिस कर्मियों पर प्राथमिकी पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है।
सीओ उझानी शक्ति सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी पंजीकृत की गई है। विवेचना की जा रही है। जो तथ्य सामने आएंगे। उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।